Thanjavur Tourism Promotion Council

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मूर्तिकला का शीर्षक: उमा

पत्थर/धातु की मूर्ति: कांस्य
माप (सी. एम एस में): N/A
अधिग्रहण की तिथि: 30-6-81
काल: 11वी शताब्दी ई. पी
मूर्ति का वर्णन:

यह मूर्ति भद्रपीड़म से जुड़े पद्म पीडम पर अभंग अवस्था में खड़ी है। जटामकुदम , सुशोभित माँगटीका और सुदामणि सामने और बगल में स्थित है। एक पहिये के रूप में सिरसचक्र पाँच भी केंद्र के पीछे लटकते हैं। तिरु, कारै और एक गर्दन का फीता आदि हैं । दो मुड़े हुए फूलों के धागे पीछे की ओर जाते हैं। नाभि के बीच में एक खोखला चिन्ह बनाया गया है और त्रिवेणी का चिन्ह बनाया गया है। स्तनों के चारों ओर छल्ले व्यवस्थित होते हैं। दाहिनी भुजा पर चूड़ियाँ, बायीं भुजा पर कोवाला , कलाइयाँ और दस्ताने हाथों की शोभा बढ़ाते हैं। कमर में एक वर्गाकार पदक सजाया गया है l कमर के दोनों ओर घंटियाँ लटकाई गई हैं । पोशाक कमर से घुटनों तक दोनों तरफ से जुड़ी हुई है l पैरों में पादसरस भी पहने हैं ।

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